परसिआ के एक शहर में कालीन का एक व्यापारी रहता था। परसिआ के एक शहर में कालीन का एक व्यापारी रहता था।
वह जिन्न एक शर्त रखता व पूरी न होने पर हाथ काट लेता था। वह जिन्न एक शर्त रखता व पूरी न होने पर हाथ काट लेता था।
जिन्न उसकी निर्लोभी प्रवृति व सेवाभाव से बहुत खुश हुआ। जिन्न उसकी निर्लोभी प्रवृति व सेवाभाव से बहुत खुश हुआ।
बाबा बाबा
"तुम खुद क्यों नहीं चली जाती..." "तुम खुद क्यों नहीं चली जाती..."
एक पल लगा मानों उसके ख्वाबों में किसीने तेज़ाब डाल दिया हो। एक पल लगा मानों उसके ख्वाबों में किसीने तेज़ाब डाल दिया हो।